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चंडीगढ़ पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीबीआई विशेष अदालत में चल रहे सबसे ज्यादा मामले

Byaapkasaamna.com

Mar 12, 2024

चंडीगढ़। सीबीआई की विशेष अदालत में चल रहे 69 मामलों में से 23 मामलों में पुलिसकर्मी शामिल हैं। 23 में से 20 मामले चंडीगढ़ पुलिसकर्मियों के खिलाफ चल रहे हैं, जिनमें कांस्टेबल से लेकर डीएसपी रैंक के पुलिसकर्मी शामिल हैं। बाकी के मामलों में तीन राज्यों पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पुलिसकर्मी शामिल हैं। सबसे ज्यादा मामले पुलिसकर्मियों के खिलाफ हैं।

सबसे पुराना मामला 2015 में गिरतार ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) के डीएसपी आरसी मीना के खिलाफ 40 लाख रुपये की रिश्वत लेने का मामला है। यह मामला लंबित मामलों में सबसे पुराना मामला है। सूत्रों के अनुसार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत में चल रहे मामलों में 95 फीसदी से अधिक पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं। एक या दो मामलों को छोड़कर किसी भी पुलिसकर्मी को अदालत ने बरी नहीं किया है। पुलिस के खिलाफ सजा की दर 95 फीसदी से अधिक है।

2015 के बाद से 32 से अधिक मामले पुलिस के खिलाफ

सीबीआई अदालत में 2015 के बाद से 32 से अधिक मामले पुलिस के खिलाफ आए हैं। इनमें से कम से कम 28 मामले चंडीगढ़ पुलिस के खिलाफ हैं। अधिकांश मामलों में एक से अधिक पुलिसकर्मी आरोपी के रूप में शामिल हैं। इनमें से 11 मामलों में आरोपी दोषी करार दिए जा चुके हैं जबकि बाकी मामलों में मुकदमा लंबित है। दोषियों में आईपीएस देशराज सिंह भी शामिल हैं। अदालत से किसी भी आरोपी पुलिसकर्मी को बरी नहीं किया गया है। हालांकि कुछ मामलों में कुछ सह-आरोपियों को बरी कर दिया गया है। अदालत में सबसे नया मामला इंस्पेक्टर हरिंदर सेखों और उनकी पत्नी परमजीत कौर सेखों का है, जिन पर 16 फरवरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने मामला दर्ज किया था।

2023 में दस दोषियों में चार पुलिसकर्मी शामिल

2023 में दस दोषियों में से चार दोषी पुलिसकर्मी थे। दोषी पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल दिलबाज सिंह, एसआई सेवक सिंह, एसआई सुशील कुमार और हेड कांस्टेबल रितु बाला हैं। इसी साल पंजाब पुलिस से रिटायर्ड डीएसपी राका गेरा को भी अदालत ने दोषी करार दिया था। राका गेरा का मामला सीबीआई अदालत में भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे पुराना मामला था।

राका गेरा को सजा सुनाने के दौरान सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जगजीत सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार समाज की जड़ों में इस कदर पैठ बना चुका है कि लोगों ने यह धारणा बनानी शुरू कर दी है कि किसी भी काम के लिए उन्हें किसी अधिकारी को रिश्वत देनी होगी। दोषी ऐसी सजा का हकदार है जो समाज में अन्य व्यक्तियों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेगी ताकि वे ऐसा अपराध करने से पहले दो बार सोचें।

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