नई दिल्ली
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के तहत छात्रों के नामांकन में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह 2014-15 में 46.1 लाख से बढ़कर 2021-22 में 66.2 लाख हो गई। अल्पसंख्यक छात्राओं के नामांकन में भी वृद्धि देखने को मिली। एनसीबीसी के रिकॉर्ड के अनुसार, 2014-15 में अल्पसंख्यक छात्राओं की संख्या 10.7 लाख से बढ़कर 2021-22 में 15.2 लाख हो गई।
जारी बयान में एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने और वर्तमान के प्रयासों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। अल्पसंख्यक महिला छात्रों के अलावा एससी छात्रों के नामांकन में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह 2014-15 के 46.07 लाख से बढ़कर 2021-22 में 66.23 लाख हो गई। इसमें एससी छात्राओं के नामांकन में 51 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली।
एसटी छात्रों के नामांकन में 65.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो 2014-15 में 16.41 लाख से बढ़कर 2021-22 में 27.1 लाख हो गई। इसमें एसटी छात्राओं की संख्या में 80 फीसदी की वृद्धि हुई है। शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान केंद्रीय विद्यालयों में ओबीसी छात्रों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 34,133 ओबीसी बच्चों ने एडमिशन लिया। इसी अवधि में नवोदय विद्यालयों में भी 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया, जिससे 19,710 ओबीसी छात्रों को एडमिशन की सुविधा मिली। 2021-22 में सैनिक स्कूल में 27 प्रतिशत आरक्षण के कारण 1,026 ओबीसी बच्चों को एडमिशन की सुविधा प्राप्त हुई।
बयान में बताया गया कि 2021 में एमबीबीएस के एडमिशन में 1,662 ओबीसी छात्र, 2022 में 1,804 छात्र और 2023 में 2,090 छात्र शामिल हुए। वहीं, पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए 2021 में एडमिशन के लिए 2,663 ओबीसी छात्र, 2022 में 3,032 छात्र और 2023 में 3,322 छात्र शामिल हुए थे। एनसीबीसी की डेटा के अनुसार, 2014-15 से 2020-21 तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी छात्रों के नामांकन में 32.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।