पर्यावरणीय परिवर्तन और साल-दर साल बढ़ते तापमान को सेहत के लिए बहुत हानिकारक माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने हालिया रिपोर्ट में बढ़ते हीटवेव को लेकर चेतावनी जारी कर कहा है कि दुनिया के कई देशों में हीटवेव जानलेवा दुष्प्रभावों का कारण बन सकती है। बच्चों की सेहत पर इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। इतना ही नहीं ईस्ट एशिया और प्रशांत के देशों में बढ़ती गर्मी के कारण करोड़ों बच्चों की जान पर संकट बना हुआ है। यह दुनिया के वो हिस्से हैं जहां हीटवेव और बढ़ती गर्मी का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक बनी रहती है और समय के साथ ये बढ़ती भी जाती है। इतना ही नहीं विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2024 सबसे गर्म वर्ष भी हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एशियाई देशों, विशेषतौर पर भारत में भी बढ़ती गर्मी को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।
भारत में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है तापमान
भारत में पिछले एक महीने में तेजी से तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है। गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों को कैसे नियंत्रित किया जाए इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञों के साथ एक बैठक कर रणनीति निर्धारित की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गर्मी के संपर्क में आने से कई प्रकार के अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। इससे हर साल लोगों में फैंटनेस, हीट स्ट्रोक, त्वचा की समस्या और ब्लड प्रेशर के जोखिमों के बढऩे का भी खतरा रहता है। हीट स्ट्रोक की स्थिति में हमारा शरीर तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है जिसके कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी हो सकते हैं।
हीटवेव से लिवर की बढ़ सकती हैं दिक्कतें
कुछ अध्ययनों में अलर्ट किया जाता रहा है कि हीटवेव या गर्मी के अधिक संपर्क में रहने की स्थिति किडनी और लिवर जैसे अति महत्वपूर्ण अंगों को भी गंभीर क्षति पहुंचाती हुई देखी जा रही है। गंभीर स्थितियों में इसके कारण लिवर इंजरी और लिवर फेलियर तक का जोखिम बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों ने बताया, हीटवेव का सबसे ज्यादा शिकार युवा आबादी को देखा जा रहा है। कुछ लोगों में हीटवेव के कारण किडनी इंजरी, लैक्टिक एसिडोसिस (रक्तप्रवाह में लैक्टिक एसिड का निर्माण), थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (ब्लड में प्लेटलेट काउंट काफी कम होना) और रबडोमायोलिसिस (मांसपेशियों के टिशू के ब्रेकडाउन से रिलीज होने वाले हानिकारक प्रोटीन) जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन बताते हैं, हीटस्ट्रोक के कारण लिवर इंजरी के मामले देखे जाते रहे हैं हालांकि ये काफी दुर्लभ हैं। आमतौर पर शुरुआत में इसका सही तरीके से निदान भी नहीं हो पाता है। हालांकि यदि रोगी को गंभीर हाइपोथर्मिया (तापमान 102 डिग्री से अधिक होने) है तो कुछ स्थितियों में ये गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थितियों का कारण बन सकती है। हीटवेव की स्थिति के कारण क्रिएटिनिन बढऩे, पेशाब का उत्पादन कम होने और अति गंभीर स्थिति में मल्टी ऑर्गन फेलियर की भी समस्या हो सकती है।
डॉ बताते हैं, लिवर कोशिकाओं में रक्त का संचार बाधित हो जाने की स्थिति में लिवर से संबंधित गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है।
डॉक्टर्स कहते हैं, समय के साथ बढ़ती गर्मी और शरीर पर होने वाले इसके दुष्प्रभावों से बचाव के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे जरूरी है। शरीर के तापमान को बढऩे से रोकने के उपाय किए जाने चाहिए।