• Thu. Nov 21st, 2024

चेतावनी आ सकती है प्रोस्टेट कैंसर की सुनामी, साल 2040 तक मृत्युदर में 85 प्रतिशत वृद्धि की आशंका

ByAap Ka Saamna

May 2, 2024

वैश्विक स्तर पर कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। पुरुषों में प्रोस्टेट और लंग्स कैंसर के मामले सबसे अधिक रिपोर्ट किए जाते हैं, जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल का जोखिम सबसे अधिक होता है। इसके अलावा भी कई प्रकार के कैंसर के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जा रही है। अध्ययनों में कहा जा रहा है कि जिस तरह से समय के साथ लोगों की लाइफस्टाइल खराब होती जा रही है, तमाम प्रकार के हानिकारक रसायनों से मिश्रित आहार का हम सभी रोजाना सेवन कर रहे इसने कैंसर के खतरे को और भी बढ़ा दिया है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बड़ी चेतावनी जारी की है।

द लैंसेट कमीशन ने तमाम अध्ययनों से जो निष्कर्ष निकाला उससे पता चलता है कि आने वाले वर्षों में प्रोस्टेट कैंसर एक बड़ा खतरा बनकर उभरने वाला है। अध्ययनकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जिस तरह के रुझान देखे जा रहे हैं इससे पता चलता है कि दुनिया में श्प्रोस्टेट कैंसर की सुनामीश् आने वाली है, इस कैंसर के मामलों में अपरिहार्य वैश्विक वृद्धि को लेकर आशंका जताई गई है।

इससे न सिर्फ वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र पर बड़ा दबाव बढ़ेगा साथ ही कैंसर से मृत्युदर बढऩे को लेकर भी चिंता जताई गई है।

2040 तक दो गुना बढ़ सकते हैं मामले

अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2040 तक दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने होकर 2.9 मिलियन (29 लाख) से अधिक हो सकते हैं। इसके अलावा मृत्यु के मामलों में भी 85त्न बढ़ोतरी की आशंका है जोकि लगभग सात लाख से अधिक मौतों का कारण बन सकती है।

पेरिस में मूत्र रोग विशेषज्ञों की एक बैठक में आयोग ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे उच्च आय वाले देशों में पहले से ही इस कैंसर के मामलों में वृद्धि देखी रही है, हालांकि अब निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भी प्रोस्टेट कैंसर के खतरे बढऩे की आशंका है।

50 की आयु में भी हो सकता है खतरा

द लैंसेट रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और लंदन में कैंसर अनुसंधान संस्थान में प्रोस्टेट और मूत्राशय कैंसर अनुसंधान के प्रोफेसर निक जेम्स ने कहा कि यह वृद्धि बड़े स्वास्थ्य संकट के तौर पर उभर रही है। उम्र बढऩे के साथ पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर हो जाता है, इसके लिए कई और भी जोखिम कारक हैं। अब कम उम्र में भी प्रोस्टेट से संबंधित दिक्कतें देखी जा रही है जिसपर आमतौर पर शुरुआत में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके बाद में गंभीर रूप लेने और कैंसर बनने का खतरा हो सकता है।

उच्च आय वाले देशों में कैंसर के मामलों में बड़ी वृद्धि हुई है। लेकिन अब हम आर्थिक रूप से कमजोर देशों में आने वाले दशकों में 50-60-70 साल के लोगों में भी इसके मामले बढ़ते हुए देख सकते हैं।

पीएसए स्क्रीनिंग को लेकर भी उठे सवाल

वैज्ञानिकों की टीम ने प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) स्क्रीनिंग के दुरुपयोग को लेकर भी चिंता जताई है। न्यूयॉर्क शहर में मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर में डॉक्टर एंड्रयू विकर्स  कहते हैं, हमने पाया कि मरीजों को पीएसए के बारे में स्वयं निर्णय लेने की सर्वव्यापी नीति सही नहीं है। पीएसए स्क्रीनिंग को लेकर फिर से विचार किए जाने की आवश्यकता है।

इस परीक्षण को लेकर पहले से ही बहुत विवाद रहा है। डॉक्टर्स मानते रहे हैं कि पीएसए परीक्षण अचूक नहीं हैं। यह संभव है कि जब कैंसर मौजूद न हो तो आपके पीएसए का स्तर बढ़ा हुआ हो, और जब कैंसर मौजूद हो तो यह उस स्तर पर न दिखे।

विशेषज्ञों ने कहा-सभी लोग करें बचाव के उपाय

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, प्रोस्टेट कैंसर को लेकर जो जोखिम देखा जा रहा है वह बड़ा चिंताकारक है। इसको लेकर सभी पुरुषों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के लिए कोई विशिष्ट तरीका तो नहीं है लेकिन आप व्यायाम और स्वस्थ आहार जैसे विकल्पों को चुनकर इसके खतरे को कम कर सकते हैं।

कुछ अध्ययनों में, नियमित रूप से हाई फैट वाले खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से पशुओं पर आधारित वसा के सेवन को प्रोस्टेट कैंसर के लिए बड़ा जोखिम कारक माना जाता रहा है। आहार में फैट वाली चीजों की मात्रा कम रखने की सलाह दी जाती है। नियमित व्यायाम को भी प्रोस्टेट कैंसर के लिए जोखिमों को कम करने वाला पाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *